लेबनान के अख़बार "अन-नहार" ने अपनी एक रिपोर्ट में लिखा कि मध्य पूर्व में युद्ध और तनाव को भड़काना अमेरिका और इस्राईल के आर्थिक हितों की पूर्ति करता है और दोनों की धौंस और वर्चस्व को मजबूत बनाता है।
हालांकि, आर्थिक विश्लेषण बताते हैं कि यह रवैया अमेरिका और इस्राईल दोनों के लिए बढ़ते सैन्य ख़र्चों और कर्ज़ में वृद्धि का कारण बन रहा है।
रिपोर्ट के अनुसार, मध्य पूर्व के युद्ध न केवल क्षेत्रीय स्तर पर असर डालते हैं बल्कि उनका प्रभाव वैश्विक अर्थव्यवस्था तक फैल जाता है।
अमेरिका में रक्षा उद्योग आय का मुख्य स्रोत है, जबकि इस्राईल इस गठबंधन के माध्यम से अपनी सैन्य शक्ति और नई तकनीकों को विकसित करने का लाभ उठाता है।
इसके बावजूद, इन युद्धों के भारी ख़र्च ने अमेरिका और इस्राईलकी अर्थव्यवस्था को दीर्घकालिक चुनौतियों का सामना करने पर मजबूर कर दिया है, जिनमें मध्य पूर्व की तबाही से लेकर आंतरिक आर्थिक दबाव और अस्थिरत शामिल हैं।
अल्पकालिक आर्थिक लाभों के बावजूद, अमेरिका और इस्राईल आर्थिक संकटों की ओर बढ़ रहे हैं, जो उनके युद्ध-आधारित अर्थतंत्र की स्थिरता को प्रभावित कर सकते हैं।
आर्थिक विश्लेषण बताते हैं कि बढ़ते सैन्य खर्च, खासकर अमेरिकी बजट पर आंतरिक दबाव और कर्ज़ में बढ़ोतरी, भविष्य में वित्तीय संकट को जन्म दे सकती है।
अख़बार के अनुसार, मध्य पूर्व में जारी युद्ध न केवल अमेरिका और इस्राईल की वैश्विक प्रभुत्व की स्थिति को मजबूत नहीं कर रहे, बल्कि अंततः ये वैश्विक तनावों को और बढ़ा सकते हैं।
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